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Maharana Pratap Spouse: जाने सबसे खूबसूरत पत्नी की कहानी

महाराणा प्रताप सिर्फ राजस्थान में ही नहीं बल्कि पुरे देश में एक महान योद्धा और शक्शियत के तौर पे देखे जाते हैं। उनसे हमारे देश के बहुत से नौजवान प्रेरणा लेते हैं। उनके जीवन से जुडी बहुत सी ऐसी बाते हैं जिन्हे हर भारतीय को जानना चाहिए। उनके जीवन में बहुत ही संगर्ष और कठिनाइयां थी इसके बावजूद वो अपनी प्रजा और परिवार दोनों का अच्छे से ध्यान रखते थे। उनके परिवार में वैसे तो बहुत से लोग थे लेकिन आज हम जानेंगे महाराण प्रताप की निजी जिंदगी और खासकर उनकी रानियों यानि Maharana Pratap Spouse के बारे में।

महाराणा प्रताप की पत्नी (Maharana Pratap Spouse)

महाराणा प्रताप मेवाड़ के राजा थे और उनकी मेवाड़ के प्रति बहुत सी जिम्मेदारियां थी। वह सिर्फ मुग़लों से लोहा ही नहीं ले रहे थे बल्कि दूसरे राजपूत राजाओं को मुग़लों के सामने झुकने से रोक रहे थे।

लेकिन मुग़लों की बढ़ती ताकत की वजह से बहुत से राजपूत शासकों ने अपने अधिकार क्षेत्र पर हमला होने से रोकने के लिए मुग़लों के सामने झुक गए। लेकिन ये चीज़ें महाराणा प्रताप के सिद्धांतों के खिलाफ थी।

महाराणा प्रताप ने भी शायद अपनी ताकत को बढ़ाने के लिए बहुत से राजपुताना राजकुमारियों से विवाह किया ताकि उनका राजनितिक गठबंधन दूसरे राजपूत शासकों से बढ़ सके और वो अपनी ताकत का विस्तार कर सकें।

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महाराणा प्रताप की कुल मिलाकर ग्यारह पत्नियां, पांच पुत्रियां और बाइस पुत्र थे। लेकिन उनकी सबसे पसंदीदा थी उनकी पहली पत्नी अजबदे पुंवर।

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महाराणा प्रताप की पहली पत्नी (Maharana Pratap’s first wife)

महाराणा प्रताप की सबसे पहली पत्नी महारानी अजबदे पुंवर थी। उनका विवाह अजबदे पुंवर से साल 1557 में महज 17 साल की उम्र में ही हो गया था।

कुछ लोगो का ये भी कहना हैं की वे दोनों विवाह से पहले एक दूसरे के घनिष्ठ मित्र थे। हालाँकि इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं।  

महाराणा प्रताप और महारानी अजबदे पुंवर के विवाह के बाद साल 1559 में उनके पहले और सबसे बड़े पुत्र अमर सिंह का जन्म हुआ जिन्होंने बाद में चलकर महाराणा प्रताप की जगह ली। अमर सिंह के अलावा महारानी अजबदे का एक और पुत्र था जिनका नाम भगवानदास था। 

महाराणा प्रताप की पत्नियों के नाम (Maharana Pratap wife names)

महाराणा प्रताप की सभी पत्नियों के नाम उनके विवाह के क्रम अनुसार:-

1. रानी अजबदे पुंवर (Rani Ajabde Punwar)
2. रानी सोलनखिनीपुर बाई (Rani Solankhinipur Bai)
3. रानी चंपा बाई झाटी (Rani Champa Bai Jhati)
4. रानी जसो बाई चौहान (Rani Jaso Bai Chauhan)
5. रानी फूल बाई राठौड़ (Rani Phool Bai Rathore)
6. रानी शाहमती बाई हाड़ा (Rani Shahmati Bai Hada)
7. रानी खिचर आशा बाई (Rani Khichar Asha Bai)
8. रानी अलमदे बाई चौहान (Rani Alamde Bai Chauhan)
9. रानी रत्नावती बाई परमार (Rani Ratnawati Bai Parmar)
10. रानी अमर बाई राठौड़ (Rani Amar Bai Rathore)
11. रानी लखा बाई (Rani Lakha Bai)

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महाराणा प्रताप (Maharana Pratap)

महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया का जन्म मेवाड़ के कुम्भलगढ़ में 9 मई 1540 को हुआ था। उनके पिता का नाम राणा उदय सिंह और उनकी माता का नाम महारानी जयवंती बाई हैं। मरहरणा प्रताप की पहली गुरु भी उनकी माता यानी जयवंती बाई थी।

बचपन से ही उनमे एक अच्छे नेता के सभी गुण थे। 1572 में राणा उदय सिंह की मृत्यु के पश्चात रानी धीर बाई के पुत्र जगमल को नया राजा बनाने के लिए कहा गया क्योंकि उदय सिंह के सबसे बड़े पुत्र वही थे।

लेकिन मुग़लों के आक्रमण की वजह से परिस्तिथियाँ विपरीत थी और राजमहल के वरिष्ठ दरबारियों ने सुझाव दिया की इस स्तिथि को सिर्फ महाराणा प्रताप ही संभाल सकते हैं।

इस प्रकार महाराणा प्रताप को उनके पिता की राज गद्दी मिली और वे नए राजा बने। उन्होंने अपने जीवन में हल्दीघाटी और देवार की दो बड़ी लड़ाइयां लड़ी जिसकी वजह से उनका नाम इतिहास के पन्नो में अमर हो गया।

महाराणा प्रताप की मृत्यु (Maharana Pratap Death)

महाराणा प्रताप ने अपने जीवन के अंतिम दिनों को चावंड में बिताया जो की फिलहाल राजस्थान के उदयपुर जिले में स्तिथ हैं। कुछ लोगो के अनुसार जब महाराणा प्रताप शिकार पर गए थे तब उन्हें किसी वजह से गंभीर चोटें लग गई।

इन चोटों की वजह से 19 जनवरी 1597 को, 56 साल की आयु में महाराणा प्रताप की मृत्यु चावंड में हो गई। चावंड से एक या दो मील दूर बंदोली गांव हैं जहाँ पर नदी के किनारे महाराणा प्रताप का अंतिम संस्कार किया गया था और इसी जगह एक स्मारक भी बनाया गया हैं जिसे महाराणा प्रताप की छत्री के नाम से जाना जाता हैं।

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उनके मृत्यु के बाद उनके सबसे बड़े पुत्र अमर सिंह को उनकी जगह मिली। उन्होंने मरते समय अपने पुत्र अमर सिंह से चित्तोर को वापिस जितने और मुग़लों के सामने सिर ना झुकाने को कहा। 

निष्कर्ष (Conclusion)

महाराणा प्रताप मेवाड़ राज्य के राजा थे। मुग़लों से युद्ध के बाद उनकी सैन्य छमता काफी घाट गई थी। उन्होंने अपनी जिंदगी में कभी हार नहीं मानी और मुग़लों के सामने कभी नहीं झुके।

दोस्तों ऐसा कहा जाता हैं की उन्होंने अपनी सैन्य छमता और राजनितिक दायरा बढ़ाने के लिए कई राज्य की राजपूत राजकुमारियों से विवाह भी किया।

महाराणा प्रताप की पत्नियों में से उनकी सबसे पहली पत्नी का नाम रानी अजबदे पुंवर था। इनके अलावा महाराणा प्रताप की और भी दस पत्नियां थी। लेकिन उन सब में से अजबदे पुंवर के ज्येष्ठ पुत्र अमर सिंह ने आगे चलकर अपने पिता महाराणा प्रताप की जगह ली।

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FAQ (Frequently Asked Questions)

महाराणा प्रताप युद्ध में कितना वजन ले कर लड़ते थे?

महाराणा प्रताप के पास एक भाला था जिसका वजन लगभग 80 किलो था, इसके अलावा उनके पास दो तलवारे थी जीनका वजन लगभग 208 किलो था और उनके कवच का वजन भी लगभग 72 किलो था। कुल मिलाकर वो युद्ध में लगभग 360 किलो वजन लेकर जाते थे।

महाराणा प्रताप का वजन कितना था?

महाराणा प्रताप का वजन 110 किलो से भी ज्यादा था।

महाराणा प्रताप की लंबाई कितनी थी?

महाराणा प्रताप की लंबाई लगभग 7 फ़ीट और 5 इंचस थी।


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