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Roop Kund: मानव कंकालों से भरी हुई झील की कहानी

हिमालय में अनेको झील और तालाब है जिनसे बहुत से किस्से और कहानियाँ जुडी हैं। इनमें से कुछ किस्से दिव्य और आलौकिक घटनाओं पर आधारित हैं। हिमालय के बहुत से झीलों में से एक है Roop Kund लेक जिसके चर्चे देश विदेशो में भी फैले हैं। आखिर क्यों हैं रूप कुंड इतना ख़ास जिसको देखने के लिए लोग बहुत दूर-दूर से आते हैं और यह लेक अपने अंदर वो कौन से राज़ छुपाये बैठा हैं जिसे लोग दशकों से जानना चाहते हैं। अभी भी कई बुद्धिजीवी इस लेक के रहस्यों पर से पर्दा उठाने के लिए शोध कर रहे हैं।

रूपकुंड लेक (Roop Kund Lake)

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रूपकुंड लेक भारत के उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्तिथ हैं। यह बर्फीली लेक समुन्द्र तल से लगभग 5029 मीटर या 16500 फ़ीट ऊपर घरवाल हिमलयास में त्रिशूल पहाड़ी के निचे हैं।

इस लेक की इतनी उचाई की वजह से यहाँ कोई नहीं रहता हैं और यह लेक ऊँचे ऊँचे बर्फीली पहाड़ो की चोटियों से घिरा हुआ हैं।

इस लेक के इतने प्रशिद्ध होने की वजह यहाँ मानव कंकाल पाए जाना हैं। इसकी खोज साल 1942 में एक ब्रिटिश वन रक्षक के द्वारा हुई। वह जब जंगल में घूम रहा था तब उसने लेक के किनारे अनेको मानव हड्डिया देखि यह नजारा रूह कपा देने वाला था।

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रूपकुंड लेक में मानव कंकाल पाए जाने के बाद से इस लेक को मिस्ट्री लेक या स्केलेटन लेक कहा जाने लगा। मानव कंकाल के अलावा इस लेक में लोहे के भाले, लकड़ी की कलाकृतियाँ, अंगूठियां, चमड़े के जूते इत्यादि पाए गए।

रूपकुंड ट्रेक (Roop Kund Trek)

roop kund trek

रूपकुंड उत्तराखंड के प्रशिद्ध ट्रेको में से एक हैं। यह ट्रेक घने जंगलो से होते हुए अली और बेदनी बुग्याल की तरफ जाता हैं और इसके चारो तरफ शानदार पहाड़ियाँ हैं। इस ट्रेक पर जाने का सबसे सही समय मई के अंत से लेकर अक्टूबर तक का हैं।

रूपकुंड की मैक्स डेप्थ (Roop Kund Max Depth)

रूपकुंड लेक की गहराई लगभग 2.5 से 3 मीटर है। यह लेक शर्दियों में जम जाती हैं लेकिन जून से अक्टूबर के बिच इसका पानी पिघल जाता हैं और हम इसके साफ़ और नीले पानी में मानव कंकालों को आसानी से देख सकते हैं।

रूपकुंड स्टोरी (Roop Kund Story)

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रूपकुंड लेक को लेकर बहुत सी कहानियाँ हैं जिनमे कुछ सच तो कुछ सिर्फ किस्से हैं जो की आम लोगो की जिंदगी का हिस्सा बन चुकी हैं।

जैसे की दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश अफसरों ने सोचा की ये सारे कंकाल जैपनीज़ सिपहियों के हैं जो की चुपके हमला करने वाले थे लेकिंन हड्डियों के जांच के बाद ये आईडिया गलत निकला।

एक दूसरी लोकथा के अनुसार, बहुत समय पहले कुछ लोग होमकुंड की ओर राज जत यात्रा ले के जा रहे थे वे कभी वापस नहीं आये। लोगो का मानना था की वो सभी लोग बर्फीले तूफान में फस गए और वही मारे गए।

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कुछ लोगो का ये कहना हैं की वो सारे कंकाल जनरल ज़ोरावर के सिपाही थे जो की तिब्बत जितने की वजह से मारे गए।

इसके इलावा बुद्धिजीवी और वैज्ञानिको का कहना हैं की ये कंकाल तीन अलग समूहों का हैं जो की दो अलग अलग मौको पर लगभग 800 CE और 1800 CE के दौरान मरे।

रूपकुंड लेक वर्तमान में

वर्तमान में रूपकुंड ट्रेक पर लोगो का जाना मन हैं क्योंकि लोगो के जाने से वहा के जिव जन्तुओं अल्पाइन घास के मैदानों में नकारात्मक प्रभाव पड़ा हैं।

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इसके अलावा वहा से बहुत सी कलाकृतियों और हड्डियों को लोग वापस अपने साथ लेकर चले जाते थे। जिसको देख वहा के प्रशासन ने उस छेत्र को बचाने का निर्णय लिया।

निष्कर्ष (Conclusion)

दोस्तों रूपकुंड लेक के अंदर कई राज़ छिपे है जो की समय के साथ धीरे धीरे बाहर आ रही है। अभी तक 600 से 800 मानव कंकाल यहाँ पर मिल चुके है जिनकी जांच से बहुत सी रोचक बाते पता लगी है।

जैसे की मरने वाले लोगो में जयादातर स्वस्थ पुरुष और महिलायें मिली है जिनकी उम्र लगभग 35 से 40 साल की रही होगी। हालांकि इन सभी के मौत की असली वजह अभी तक  पता नहीं चल सकी है।

Roop Kund की इन्ही बातो से लोगो के बिच ये लेक एक चर्चा का विषय बन चुकी है। जिस वजह से यहाँ बहुत से ट्रेकर्स आते है और इन बर्फीली वादियों में ट्रेकिंग के दौरान रूपकुंड लेक को भी जाते है।

दोस्तों इन रहस्यमई बातों को जानकार अगर आप भी यहाँ ट्रेकिंग के लिए आये तो लेक को जरूर देखे शायद आपको कुछ अनोखी और अलौकिक चीज़ दिख जाए।

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FAQ (Questions asked about Roop Kund Lake)

रूपकुंड का क्या अर्थ हैं?

लोक कथाओं के अनुसार इस प्राचीन झील के नीले पानी में देवी पार्वती ने स्नान किया था। उस वक़्त इस झील का पानी इतना साफ़ था की माँ पार्वती अपना प्रतिबिम्ब आसानी से देख सकती थी। तभी से इस झील को रूपकुंड नाम से जाना जाने लगा। रूप का अर्थ आकर, स्वरुप, सौंदर्य, इत्यादि हैं, और कुंड का मतलब एक छोटा तालाब या झील हैं।

रूपकुंड झील की खोज किसने की थी?

साल 1942 में पहली बार एक भारतीय वन रक्षक एच के मधवाल (HK Madhwal) ने अपने वन दौरे के दौरान इस झील के साथ इसके आस-पास पड़े अनेकों मानव हड्डियों को देखा।

रूपकुंड झील कितनी बड़ी हैं?

रूपकुंड झील का आकर मौसम के हिसाब से बदलता रहता हैं। लेकिन फिर भी इसका व्यास (Diameter) लगभग 40 मीटर के आस-पास ही रहता हैं। और इसका छेत्रफल लगभग 1000 से लेकर 1500 वर्ग मीटर के बीच हैं।

रूपकुंड में तापमान क्या हैं?

रूपकुंड का तापमान दिन और रात में बदलता रहता हैं। जैसे की इसका तापमान दिन में 13 से 18 डिग्री सेंटीग्रेड और रात में -5 से 7 डिग्री सेंटीग्रेड रहता हैं।

रूपकुंड ट्रेक की दुरी कितनी हैं?

रूपकुंड ट्रेक की दुरी लगभग 53 किलोमीटर हैं।


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