gwalior fort history

Gwalior Fort History in Hindi: जाने 1000 साल पुराने इस किले के बारे में

भारत में अनेको प्रसिद्ध किले बने हुए है, उन्ही प्रसिद्ध किलो में से एक ग्वालियर का किला भी है। इस लेख में आपको Gwalior Fort History in Hindi पढ़ने को मिलेगा। हमने आज तक कई ऐसे प्रसिद्ध जगहों तथा प्रसिद्ध किलो के बारे में अपने बड़ो से सुना है और किताबों में पढ़ा है। ग्वालियर का किला दिखने में बहुत अधिक सुन्दर और बहुत बड़ा है। ये किला भारत के कई ऐतिहासिक किलो में से एक है।

Gwalior Fort History in Hindi

gwalior fort history in hindi

ग्वालियर का किला मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले के गोपांचल नामक एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित है। कहा जाता है कि ग्वालियर का किला क्षेत्रफल की दृस्टि से बहुत बड़ा है। और यह भारत के सभी किलो में से तीसरे नंबर पर आता है।

इस किले का निर्माण 8 वीं शताब्दी में हुआ था। इस किले को बनने में कितना समय लगा इस बात की पुष्टि नहीं की जा सकती। इस किले का निर्माण लाल बलुआ पत्थर तथा सुर्खी चुना से हुआ है।

यह किला लगभग 3 वर्ग किलीमीटर के दायरे में फैला हुआ है। कई इतिहासकारों का मानना है कि इस किले की नींव सूर्यसेन कछवाह ने रखी थी। परन्तु वे इसे पूर्ण रूप से नहीं बनवा पाए थे।

उसके बाद इस किले को राजपूत राजा मान सिंह तोमर ने पूर्ण रूप से बनवाया था। इस किले को ग्वालियर का किला नाम के साथ-साथ जिब्राल्टर नाम से भी जाना जाता है। यह किला ग्वालियर का सबसे मशहूर किला माना जाता है।

कहा जाता है कि यह किला ग्वालियर में लगभग 1000 वर्षों से मौजूद है, और इस किले की ऊंचाई 35 फ़ीट है। इस किले के साथ कई वीर राजपूत क्षत्राणियों के जौहर की गाथाएँ जुडी हुई है।

See also  India Gate History in Hindi: जाने इंडिया गेट के बनने की कहानी

राजा मान सिंह तौमर की सबसे प्रिय रानी मृगनयनी थी, जिनके लिए राजा मान सिंह ने 15 वीं शताब्दी में अलग से महल बनवाया था। उस महल को गुजरी महल के नाम से जाना जाता है।

यहाँ पर पहले कछवाह तथा प्रतिहार वंश के लोग निवास करते थे। उसके बाद यहाँ राजा मान सिंह तौमर का राज्य स्थापित हुआ। उसके बाद यहाँ अनेको राजा आए और उन्होंने यहाँ बहुत समय तक शासन किया।

अंत में ग्वालियर के किले पर माधव राव सिंधिया का प्रभुत्व रहा कुछ समय पश्चात उनका निधन हो गया और उनके पुत्र जीवाजीराव ने ग्वालियर की गद्दी संभाली और कई वर्षों तक ग्वालियर के किले पर राज किया।

ग्वालियर के किले से जुडी कुछ रोचक कहानियाँ

ग्वालियर के किले का इतिहास बहुत अधिक पुराना और रहस्यमयी है तथा इससे प्रमुख दो कहानियाँ जुडी हुई है। उनका वर्णन कुछ इस प्रकार से है:

#1. कई इतिहासकार ऐसा कहते है कि बहुत समय पहले ग्वालिपा नामक एक ऋषि रहा करते थे। एक बार राजा सूर्यसेन कुष्ठ रोग से बहुत अधिक पीड़ित थे तभी ग्वालिपा ऋषि ने उन्हें एक पवित्र तालाब से जल लाकर दिया था।

राजा सूर्यसेन वह जल पीकर पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गए थे। उसके पश्चात राजा सूर्यसेन ने खुश होकर ग्वालिपा ऋषि के नाम से ही ग्वालियर का किला बनवाने का निर्णय लिया था।

#2. कहा जाता है कि इस किले में एक तहखाना हुआ करता था। जिसमे राजा अपने राज्य कोष को रखा करते थे। परन्तु कहा जाता है कि इस तहखाने का एक कोड हुआ करता था जो सिर्फ वहा राज करने वाले राजा को ही ज्ञात होता था।

वह कोड सिर्फ उसे ही बताया जाता जो राजा की मृत्यु के बाद उस राज्य का राजा बनाया जाता। यह तथ्य हमे “एक अली बाबा और चालीस चोर” वाली कहानी से रूबरू कराता है। इस कहानी में दरवाजा खोलने के लिए “खुल जा सिम-सिम” कहा जाता था।

See also  Surat Diamond Bourse: जाने रोचक तथ्य, दुनिया की सबसे बड़ी बिल्डिंग

ठीक उसी प्रकार राज्य के तहखाने को खोलने के लिए कोड था जो केवल राजा को ही ज्ञात होता था। उस कोड को डाले बिना वह दरवाजा नहीं खोला जा सकता था।

गंगू तेली का मंदिर | Gangu Teli Temple

gangu teli mandir

आप सभी ने एक कहावत तो हर किसी से सुनी होगी “कहा राजा भोज और कहा गंगू तैली” यहा तक की इस कहावत का उपयोग एक फिल्म में भी किया गया है। इस कहावत का अर्थ यह है की, “राजा की बराबरी कोई नहीं कर सकता, राजा आखिरकार राज ही होता है।”

सभी लोगो को इस कहावत को सुनकर ऐसा लगता है, जैसे ये किसी एक ही व्यक्ति के लिए की गयी हो परन्तु ऐसा नहीं है ‘मिहिर भोज’ एक प्रतिहार वंश के संस्थापक थे। तथा दूसरी ओर ‘गंगू तेली’ नामक व्यक्ति कोई एक व्यक्ति नहीं था बल्कि ये दो अलग-अलग व्यक्ति थे।

गंगू का पूरा नाम “कलचुरी नरेश गांगेय” था और तेली का पूरा नाम ‘चालुक्य नरेश तैलंग’ था। जब गंगू और तेली नामक दो व्यक्तियों ने एक दिन राजा मिहिर भोज पर आक्रमण कर दिया परन्तु उन दोनों को राजा सम्राट मिहिर भोज के सामने अपने घुटने टेकने पड़े।

उसी समय से वहां की जनता ने उसका मजाक बनाते हुए ये कहावत कही की ‘कहा राजा भोज और कहा गंगू तेली’। आज भी ग्वालियर के किले के साथ गंगू तेली का मंदिर बना हुआ है।

इस मंदिर को परहिहार वंश के संस्थापक सम्राट मिहिर भोज जी ने बनवाया था। इस मंदिर में अनेको प्रकार की मनमोहक कर देने वाली सुन्दर आकृतिया बनी हुई है तथा इस मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति की पूजा की जाती थी।

मुग़लों के आक्रमण के बाद इस मंदिर की सभी भगवान की मूर्तियों को नष्ट कर दिया गया था। परन्तु उसके बाद यहाँ पर पुनः राजपूत राजाओ ने अधिकार कर लिया और यहाँ के गंगू तेली के मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति के स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति की स्थापना कराई गई।

See also  Black Taj Mahal: जाने क्या हैं ब्लैक ताज महल की सच्चाई

निष्कर्ष (Conclusion)

भारत के मध्यप्रदेश में स्थित ग्वालियर का किला बहुत ही भव्य है। इसकी बनावट बहुत ही सुन्दर है तथा इन्हे रोचक ढंग से बनाया गया है। ग्वालियर का यह किला ग्वालियर में ही नहीं बल्कि पूरे भारत वर्ष में प्रसिद्ध है।

इसकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है। यहाँ पर पूरे भारत वर्ष से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी पर्यटक घूमने के लिए आते है। उन्हें यहाँ की संस्कृति तथा सभ्यता देखने को मिलती है।

यहाँ की कलाकृति बहुत ही अद्भुत रूप से निखारी गई है। इस किले में हमे अनेको प्रकार की सुन्दर और अनूठी मूर्तियां देखने को मिलती है।

ग्वालियर के इस किले के पास ही में गंगू तेली नाम का एक प्रसिद्ध मंदिर है जिसकी शोभा अति सराहनीय है। यहाँ इस मंदिर के दरवाजे पर अनेको प्रकार की अलग-अलग आकृतियां बनी हुई है जो देखने में बहुत अधिक सुन्दर है।

राजा मान सिंह तौमर के बाद यहाँ अनेको राजा आएं और अनेको युद्ध लड़े गए। एक के बाद एक आक्रमणकारियों ने इस दुर्ग पर हमला किया। जिसकी वजह से इसे काफी नुक्सान हुआ परन्तु समय-समय पर इसकी मरम्मत होती रही है।

Read More: Kangra Fort History: महाभारत काल से खड़ा है ये रहस्यमयी किला

FAQ (Frequently Asked Questions)

ग्वालियर फोर्ट देखने का समय क्या है?

ग्वालियर फोर्ट सुबह 7 बजे से शाम को 5:30 तक खुला रहता है। आप इस बीच कभी भी वहां जाकर ये शानदार किला देख सकते है। ध्यान रहे कि किले का दरवाजा हर शुक्रवार को घूमने के लिए बंद रहता है।

ग्वालियर फोर्ट की एंट्री फीस कितनी है?

भारतीय नागरिकों के लिए ग्वालियर का किला घूमने के लिए एंट्री फीस 75 रूपए प्रति व्यक्ति है और 15 साल से ऊपर के बच्चों के लिए 40 रूपए प्रति व्यक्ति है। जबकि विदेशी पर्यटकों के लिए किले की एंट्री फीस 250 रूपए प्रति व्यक्ति है।

नोट: 15 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए एंट्री फीस नहीं है।

ग्वालियर फोर्ट घूमने के लिए सबसे अच्छा समय कौन सा है?

ग्वालियर फोर्ट घूमने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च का है। आपको यहाँ पर लेज़र लाइट और साउंड शो भी देखने को मिल जायेगा।


Posted

in

by

Tags:

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *