rani padmavati johar real place

Rani Padmavati Johar Real Place – रानी पद्मावती का जौहर कुंड

दोस्तों हमारा इतिहास युद्धों और खून-खराबे से भरा हुआ हैं। भारत में मुग़लों के आने से लेकर अंग्रेजों के जाने तक न जाने इस धरा पर कितने ही युद्ध लड़े गए हैं और कितने लोग मारे गए है। मुग़लों के इस धरा पर आने के बाद से, युद्ध में और उसके उपरांत बर्बरता और भी बढ़ गई थी। मुग़लों से युद्ध में हारने के बाद ज्यादातर मुग़ल बचे हुए लोगो के साथ बहुत बुरा करे थे, जैसे की बचे हुए लोग को मारना, बेचना, गुलाम इत्यादि बनाना। लेकिन सबसे ज्यादा शोषण और हैवानियत महिलाओं के साथ होता था। बहुत सी महिलायें इस शोषण और अपमान से बचने के लिए स्वयं को ख़तम कर लेती थी। ऐसी ही एक दर्दनाक घटना रानी पद्मावती के ज़ौहर से जुडी हैं। तो चलिए जानते है, Rani Padmavati Johar Real Place के बारे में और जानेगे की कैसे राजपूतानी महिलाओं ने अपने आन बान और शान के लिए ज़ौहर किया और अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।

रानी पद्मावती ज़ौहर रियल प्लेस (Rani Padmavati Johar Real Place)

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रानी पद्मावती के ज़ौहर का रियल प्लेस “चित्तौरगढ़ किले का ज़ौहर कुंड” हैं। चित्तौरगढ़ की रानी पद्मनी के साथ चित्तौरगढ़ के अंदर मौज़ूद ज़ौहर कुंड में सैकड़ों राजपुतानियों ने अपने बच्चो के साथ ज़ौहर किया। रानी पद्मावती के ज़ौहर की गाथा आज भी आम लोगो के बिच प्रशिद्ध हैं।

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जब रावल रतन सिंह के युद्ध में हारने की खबर किले के अंदर पहुँची तब रानी पद्मावती और उनके साथ अनेकों राजपूतानियाँ किले के गुप्त मार्ग से ज़ौहर कुंड तक पहुँची और रानी पद्मावती के नेतृत्व में आग से धधकते कुंड में छलांग लगा दी।

चित्तौरगढ़ किला राजस्थान के चित्तौरगढ़ शहर में हैं। इसका निर्माण मौर्या वंश के चित्रगद मोरी ने सातवीं शताब्दी में करवाया था।

रानी पद्मावती ज़ौहर स्थल (Rani Padmavati Johar Sthal)

साल 1958 और 1959 में दुर्ग पर बने स्तम्भ के आस-पास पुरातत्व विभाग द्वारा खुदाई की गई जिसमे राख, हड्डियाँ और लाख की चूड़ियाँ पाई गई।

johar sthal

इस पुरातत्व जाँच के बाद इस जगह को ज़ौहर स्थल घोषित कर दिया गया। बाद में ज़ौहर स्मृति संस्थान ने यहाँ हवन कुंड बनवाया।

रानी पद्मावती ज़ौहर डेट

साल 1303 ईस्वी में जब दिल्ली के सुल्तान अलाउदीन खिलजी ने मेवाड़ के राजा रावल रतनसिंह पर हमला किया तब उन्होंने खिलजी का डट के सामना किया। लेकिन किले के आठ महीने खेरा बंदी करने के बाद राजा रावल रतनसिंह का पलड़ा कमजोर पड़ने लगा जिसके चलते वो युद्ध में हार गए। उनके हारने के बाद उसी साल 1303 ईस्वी में ही रानी पद्मावती ने ज़ौहर किया।

रानी पद्मावती की कहानी (Rani Padmavati ki Kahani)

रानी पद्मावती को रानी पद्मिनी के नाम से भी जाना जाता हैं। ये 13 वी सतबादी के दौरान मेवाड़ राज्य की रानी थी। रानी पद्मावती के बारे में इतिहास में बहुत लोगो ने अपने-अपने लेखो में लिखा उनमे से एक प्रशिद्ध लेख ” सूफी कवी जायसी” का हैं।

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जायसी के लेख के अनुसार, पद्मावती के बहुत ही सुन्दर और आकर्षक सिंहलीज़ राज्य की राजकुमारी थी। चित्त्तोड़ के राजा रतन सिंह ने रानी पद्मावती के सौंदर्य के बारे में एक बोलने वाले तोते “हिरामन” के मुँह से सुना और उन्होंने राजकुमारी पद्मावती से विवाह करने का मन बना लिया। चित्तोड़ के राजा ने राजकुमारी पद्मावती को स्वयंवर में जीत लिया और चित्तोड़ ले आए। 

दिल्ली के सुल्तान अलाउदीन खिलजी ने रतन सिंह को पकड़ लिया और बंदी बना लिया। उनके कारावास के दौरान राजा देवपाल ने रानी पद्मावती पर मोहित हो उन्हें विवाह का प्रस्ताव भेज दिया।

खिलजी के कैद से बाहर आने के बाद जब राजा रतन सिंह को ये बात पता लगी तो उन्होंने देवपाल पे आक्रमण कर दिया और वो दोनों इस युद्ध में मारे गए। बाद में अलाउदीन खिलजी ने रानी पद्मावती को पाने के लिए चित्तोड़ की घेरा बंदी कर उस पर हमला कर दिया।

चित्तोड़ को हारते देख, उन्होंने खिलजी द्वारा पकडे जाने से पहले ही अपने साथयों के साथ ज़ौहर कर लिया और इसके साथ-साथ राजपूत योद्धाओं ने शत्रुओं से लड़ते-लड़ते अपने प्राण त्याग दिए।

इसके इलावा कई लेख जायसी के लेखो से अलग हैं। जैसे की रानी पद्मिनी के पति रतन सिंह की मृत्यु अलाउद्दीन खिलजी से युद्ध के दौरान हुई थी। युद्ध में हार के बाद अपने मान सम्मान को बचाने के लिए रानी पद्मावती ने ज़ौहर किया था।

निष्कर्ष (Conclusion)

इतिहास में बहुत सी बाते ऐसी हैं जिनका सच या झुठ होने का पता लगाना बहुत मुश्किल हैं। लेकिन वास्तव में चाहे जो भी हुआ हो ये बात तो तय हैं की ज़ौहर एक नहीं तीन बार किया गया था जिसके बारे में कई इतिहासकारों ने बताया है। ऐसा माना जाता हैं की आज भी वहाँ पर पायलों और औरतों की रोने की आवाज़े आती हैं। Rani Padmavati Real Johar Real Place पर जाने वाले लोगो का कहना हैं की उस जगह पर उन्होंने कुछ अलग महसुस किया हैं जो की मन को असहज कर देता हैं।

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दोस्तों रानी पद्मावती के ज़ौहर की गाथा हमें बताती हैं की अपने मान सम्मान के लिए लड़ना चाहिए। उनकी इस कदम ने सैकड़ों लोगो को सर ऊँचा उठा कर चलने की प्रेरणा दी हैं।

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Rani Padmavati Painting from pinterest

FAQ (Questions about Rani Padmavati)

रानी पद्मावती के पति का क्या नाम था?

रानी पद्मावती के पति चित्त्तोड़ के राजपूत राजा रावल रतन सिंह (जिन्हें रतन सेन के नाम से भी जाना जाता हैं।) थे।

क्या रानी पद्मावती अलाउद्दीन खिलजी से प्यार करती थी?

नहीं रानी पद्मावती अलाउद्दीन खिलजी से प्यार नहीं करती थी। उन्होंने खिलजी से अपने आप को बचाने के लिए जौहर किया था।

क्या अलाउद्दीन ने पद्मावती से विवाह किया था?

नहीं रानी पद्मावती ने खिलजी से विवाह नहीं किया था। इसके विपरीत उससे बचने के लिए उन्होंने ज़ौहर कुंड में कुद कर अपने प्राण त्याग दिया।

क्या रानी पद्मावती का बच्चा था?

रानी पद्मावती के ऊपर लिखे लेखो और गाथाओं में उनके बच्चे के बारे में कही भी जिक्र नहीं किया गया हैं।


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