राजस्थान को राजाओं का स्थान भी कहते हैं। क्योंकि यहाँ बहुत से किले और महल हैं जिसमे कभी राजा-महाराजा रहा करते थे। लेकिन आज वे सभी स्थान सिर्फ पर्यटकों के घूमने के ठिकाने बन गए हैं। इन सभी महलों और किलों की अपनी-अपनी कहानियां हैं। ऐसा ही एक महल हैं राणा कुम्भा, जो की लोगो के बीच अब हॉन्टेड पैलेस के नाम से मशहूर हैं। इस महल से जुडी बहुत सी कहानियां हैं, उनमे से एक कहानी है पन्ना दाई के रहस्यमय तरीके से गायब हो जाने की। पन्ना दाई उदय सिंह-2 की दाई माँ थी। ये वही उदय सिंह हैं जिन्होंने आज के उदयपुर की स्थापना की थी। तो चलिए दोस्तों जानते हैं Rana Kumbha Palace Haunted Story के बारे में।
- Rana Kumbha Palace Haunted Story
- Rana Kumbha Palace: A Testament to the Glorious Rajput Era
- Architecture of Rana Kumbha Palace
- History of Rana Kumbha Palace
- Visiting Rana Kumbha Palace
- निष्कर्ष (Conclusion)
- FAQ (Questions asked about Rana Kumbha)
- राणा कुम्भा कौन थे?
- राणा कुंभा की पुत्री कौन थी?
- राणा कुम्भा पैलेस और मीराबाई का रिश्ता क्या था?
- राणा कुम्भा कितने लम्बे थे?
- राणा कुम्भा महल का निर्माण किसने करवाया था?
- राणा कुम्भा की मृत्यु के बाद अगला शासक कौन था?
Rana Kumbha Palace Haunted Story
दोस्तों ये हॉन्टेड कहानी है राणा कुम्भा महल में जन्मे राजकुमार उदय सिंह-2 के लिए रखी गई खास पन्ना दाई की। पन्ना दाई राजकुमार की विश्वसनीय सलाहकार थी और खतरे के समय में उन्होंने राजकुमार की जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
एक बार जब राजपूतों की मुग़लों से लड़ाई हो रही थी तब पन्ना दाई ने राजकुमार को बचाने के लिए उन्हें महल में से निकालकर एक सुरक्षित स्थान पर ले गई।
हालाँकि युद्ध के बाद पन्ना दाई रहस्यमय तरीके से गायब हो गई और वो या उनका शव कभी नहीं मिला। ऐसा माना जाता है की पन्ना दाई का राजकुमार के ऊपर बहुत ज्यादा प्रभाव था।
इसी वजह से पन्ना दाई से जलने वाले बहुत लोग थे और शायद उनमे से ही किसी एक ने उनकी हत्या कर दी होगी। कुछ लोगो का ऐसा दावा है की पन्ना दाई की आत्मा अब भी महल के गलियारों भटकती रहती हैं और वो उस राजकुमार को ढूंढती फिर रही हैं जिसको उन्होंने एक बार बचाया था।
महल से जुडी दूसरी कहानी उस राजकुमारी की हैं जिसने आत्महत्या कर ली थी। लोगो के द्वारा कहे जाने वाली कथा के अनुसार एक राजकुमारी जो की महल में रहती थी उसने पास के ही तालाब में कूदकर अपनी जान दे दी।
ऐसा कहा जाता हैं की उस राजकुमारी की आत्मा अब भी महल में लोगो को डराती हैं और रात में उसके रोने के साथ कराहने की आवाज़े भी आती हैं।
कुम्भा महल में घूमने जाने वाले लोगो के बहुत अजीब से अनुभव हुए हैं। उनके मुताबिक उन्होंने महल के खाली गलियारों में फुसफुसाने, लोगो के चलने की आवाज़े, महल में घूमती अजीबो-गरीब परछाइयाँ के आलावा कही-कही पर बहुत ठंडी महसूस की हैं।
इन सभी कहानियों की वजह से राणा कुम्भा महल घोस्ट हन्टर्स और पैरानॉर्मल जांचकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण जगह बन गई हैं।
Rana Kumbha Palace: A Testament to the Glorious Rajput Era
राणा कुम्भा पैलेस राजस्थान के चित्तौरगढ़ शहर में स्तिथ हैं। ये महल राजपूतों का एक उल्लेखनीय स्मारक हैं जो की उनके महान युग का गवाह हैं। इस महल को कुम्भा महल भी कहा जाता हैं। इसे मेवाड़ के राजा राणा कुम्भा ने 15 वीं शताब्दी में बनवया था।
उस समय मेवाड़ राज्य में कुम्भा महल सबसे बड़ा और भव्य था और भारत में इसे राजपूत वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण माना जा सकता हैं। ये महल चित्तौरगढ़ किले के अंदर स्तिथ हैं जो की आज एक UNESCO World Heritage Site भी हैं।
यह किला 700 एकड़ में फैला हुआ हैं और इसके चारों तरफ से 13 किलोमीटर से भी ज्यादा लम्बी दीवाल ने घेर रखा हैं। राणा कुम्भा पैलेस किले के पश्चिमी भाग में हैं और ये इस किले की महत्वपूर्ण संरचनाओं में से एक हैं।
Architecture of Rana Kumbha Palace
राणा कुम्भा पैलेस वास्तुकला का एक बेमिसाल नमूना हैं इसकी जटिल नक्काशी और बनावट राजपूत कारीगरों और कलाकारों के कौशल की गवाही देती हैं।
इस सात-मंजिले महल की हर मंजिल की वास्तुकला अपने में अनूठी हैं। इस महल की निचे की मंजिले Indo-Aryan स्टाइल में बानी हैं जबकि इसके ऊपरी मंजिलों पर हम इस्लामिक वास्तुकला का प्रभाव देख सकते हैं।
महल में कई आंगन, हॉल और कक्ष हैं जो सुंदर नक्काशी से सजाए गए हैं। इसके आलावा महल की दीवालों पर सुन्दर चित्र बने हुए हैं। इन सभी में से जनाना महल देखने लायक हैं। जो की रानी और उनकी दासियों के रहने के लिए बनाया गया था। जनाना महल में कई बालकनियाँ, झरोखे और छत हैं जो की आस-पास के नजारों का शानदार दृश्य दिखाती हैं।
महल में और भी बहुत सी उल्लेखनीय संरचनाएँ हैं। जिनमें रानी पद्मिनी महल, फ़तेह प्रकाश महल और, जयमल और पत्ता महल शामिल हैं। ये सभी संरचनाएँ अपनी शानदार वास्तुकला और जटिल नक्काशी के लिए बहुत प्रसिद्द हैं।
History of Rana Kumbha Palace
राणा कुंभा पैलेस का इतिहास बहुत समृद्ध हैं। इस महल का इतिहास मेवाड़ साम्राज्य के इतिहास से निकटता से जुड़ा हुआ है। राणा कुम्भा महल 15 वीं शताब्दी में राणा कुम्भा के द्वारा निर्माण करवाया गया था। राणा कुम्भा कला के संरक्षक और एक महान योद्धा थे।
ये महल कई ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़ा हुआ हैं, जैसे 1303 में अलाउद्दीन खिलजी द्वारा चित्तौड़गढ़ की घेराबंदी करना और 1303 में ही रानी पद्मिनी के साथ अन्य महिलाओं का जौहर (सामूहिक आत्मदाह) करना इत्यादि।
राणा कुम्भा महल ने, महाराणा उदय सिंह-2 के जीवन में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उदय सिंह-2 का जन्म 1537 में इसी महल में हुआ था। महाराणा उदय सिंह-2 ने उदयपुर शहर की स्थापना के साथ-साथ मेवाड़ राजवंश की स्थापना भी की। जो की 1500 से अधिक वर्षों तक चली।
16 वीं शताब्दी में कुम्भा महल पर मुगल सम्राट अकबर ने हमला किया था। अकबर ने किले पर कब्जा कर लिया और महल सहित इसकी कई संरचनाओं को भी नष्ट कर दिया। हालाँकि महल को बाद में महाराणा कुंभा-2 ने सही करवाया था। यह महल आज तक एक शानदार संरचना बनी हुई है जिसे देखने के लिए लोग देश-विदेश से आते हैं।
Visiting Rana Kumbha Palace
राणा कुंभा पैलेस हर दिन सुबह 9:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है। पर्यटक महल और इसके विभिन्न संरचनाओं को आराम से देख सकते हैं। यहाँ देखने के लिए बहुत सी संरचनाएँ हैं, जिनमें जनाना महल, रानी पद्मिनी का महल और, जयमल और पत्ता महल भी शामिल हैं।
महल के अंदर एक संग्रहालय भी है जिसमे मूर्तियां, शिलालेख और कलाकृतियां के संग्रह को प्रदर्शित किया गया है जो मेवाड़ साम्राज्य के समृद्ध इतिहास की झलक दिखता है।
पर्यटक महल की बालकनियों और छतों से आस-पास के शानदार दृश्यों का लुत्फ़ उठा सकते हैं। महल के अंदर शांत वातावरण हैं जो की शांति प्रदान करता है। इसके आलावा यहाँ बहुत हरियाली देखने को मिल जाएगी।
राणा कुंभा पैलेस पहुंचने के लिए, पर्यटकों को चित्तौड़गढ़ किले में जाना होगा। वहाँ जाने के लिए आप कार, बस या ट्रेन ले सकते है। यहाँ का निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर में स्तिथ है जो की लगभग 120 किलोमीटर की दुरी पर है।
निष्कर्ष (Conclusion)
राणा कुम्भा पैलेस की शानदार वास्तुकला, पत्थरों और दीवारों पे की गई सुंदर नक्काशी और समृद्ध इतिहास इसको और भी ख़ास और एक घूमने लायक जगह बना देती हैं।
Rana Kumbha Palace Haunted Story से जुड़े लोगो के जितने भी अनुभव हैं, वे सभी इस महल को और भी रहस्यमय बना देते हैं। हालाँकि ये बात याद रखने वाली हैं की ये सभी सिर्फ कहानियां हैं और वास्तव में इस महल में आत्मा या भूतो के होने का कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिला हैं।
पर्यटकों को महल की पैरानॉर्मल बातों पे ध्यान ना देके इस महल में खुले दिमाग से घूमना चाहिए और असाधारण कहानियों से बिल्कुल घबराए बिना इस शानदार और सुन्दर महल का आनंद लेना चाहिए।
आप भी अगर राजपूतो के इतिहास और उनके वास्तुकला में दिलचस्पी रखते हैं तो एक बार इस महल का पर्यटन जरूर कीजियेगा।
FAQ (Questions asked about Rana Kumbha)
राणा कुम्भा कौन थे?
राजपूतों के सिसौदिया वंश के राणा कुम्भा मेवाड़ साम्राज्य के महाराणा थे। महाराणा कुम्भा का नाम कुम्भकर्ण सिंह है। वे 1433 में चित्तौरगढ़ के शाशक बने।
राणा कुंभा की पुत्री कौन थी?
राणा कुम्भा की पुत्री रमा बाईसा थी। जो की विद्वान होने के साथ-साथ संगीत शास्त्र की गहरी समझ और ज्ञान रखती थी।
राणा कुम्भा पैलेस और मीराबाई का रिश्ता क्या था?
इस महल में कभी प्रसिद्ध भक्ति कवयित्री मीराबाई रहती थी।
राणा कुम्भा कितने लम्बे थे?
लोक कथाओं के अनुसार राणा कुंभा की लम्बाई लगभग 9 फीट थी।
राणा कुम्भा महल का निर्माण किसने करवाया था?
महल का निर्माण बप्पा रावल (Bappa Rawal) ने 734 AD में करवाया था। बाद में इसे राणा कुम्भा द्वारा दुबारा बनवाया गया था।
राणा कुम्भा की मृत्यु के बाद अगला शासक कौन था?
राणा कुम्भा की मृत्यु के बाद राजगद्दी के लिए राजपूतो में बहुत सी लड़ाइयां हुई। अंततः संग्राम सिंह मेवाड़ के सिंहासन पर बैठे और बाद में राणा सांगा के नाम से प्रसिद्द हुए।
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